National Register of Citizen of India (NRC)
National Register Of Citizens Of India(NRC)
Last Updated On: 15 August 2023
National Register Of Citizens Of India(NRC)
भारत की प्रथम जनगणना 1951 के बाद तत्काल प्रधानमंत्री राजीव गाँधी द्वारा NRC को मंजूरी दी गयी इसके तहत जो भी व्यक्ति 1971 के बाद देश में आया उसे वापस उसे अपने देश भेजा जायेगा |
असम भारत का पहला राज्य है जहा भारतीय राष्ट्रीय पंजीकरण है | बांग्लादेश विभाजन से पहले जो लोग भारत आये है केवल उन्हें ही भारत का नागरिक माना जायेगा | असम में लगभग 3.2 करोड़ लोगो ने आवेदन किये जिसमे केवल 1.9 करोड़ आवेदन ठीक पाए गये|
अवैध प्रवासियों की पहचान करने के लिए सबसे पहले 1979 में आखिल असम छात्र संघ द्वारा आन्दोलन चलाया गया | यह आन्दोलन 6 वर्षो तक चला | 15 अगस्त 1985 को असम समझोते पर हस्ताक्षर के साथ ये आन्दोलन समाप्त हुआ|
कब क्या हुआ
1950 : बटवारे के बाद तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान से बड़ी संख्या मई शरणार्थियो के आने के बाद प्रवासी {असम से निष्काशन} अधिनियम कानून लागू किया गया |
1951 : स्वतन्त्र भारत की पहली जनगणना हुई | इसके आधार पर पहला एनआरसी तैयार किया गया |
1957 : प्रवासी {असम से कानून निष्कासन } कानून निरस्त किया गया
1964 – 1965 : पूर्वी पाकिस्तान मे दंगो और युद्ध के कारण फिर से बड़ी संख्या में शरणार्थी भारत आए और स्वतंत्र बंगलादेश अस्तित्व में आया |
1971 : पूर्वी पाकिस्तान में दंगो और युद्ध के कारण फिर से बड़ी संख्या मे शरणार्थी आए | स्वतंत्र बांग्लादेश अस्तित्व में आया |
1979 -1985 : विदेशियों की पहचान कर उनके निर्वासन के लिए असम से छह साल आन्दोलन चला जिसका नेतृत्व अखिल असम छात्र संघ {आसू } ने किया |
1983 : मध्य असम के नेल्ली में नरसंहार हुआ जिसमे 3000 लोंगो की मौत हो गई | अवैध प्रवासी { न्यायाधिकरण द्वारा निर्धारित} अधिनियम पारित किया गया|
1985 : तत्कालीन पीएम राजीव गाँधी की मोजूदगी में केंद्र – राज्य सरकार के बीच असम समझोते पर हस्ताक्षर | कहा गया 25 मार्च 1971 को या उसके बाद आए विदेशियो को निष्कासित किया जायेगा |
1997 : निर्वाचन आयोग ने उन मतदाताओ के नाम के आगे डीन { संदेहास्पद } जोड़ना का फैसला किया जिनके भारतीय नागरिक होने पर शक था |
2005 : उच्चतम न्यायालय ने अवैध प्रवासी पहचान त्र्टीब्यूनल {आईएमडीटी } कानून को घोषित किया |
2009 : गैर सरकारी संगठन असम पुब्लिक वर्क्स ने मतदाता सूचि से विदेसियों के नाम हटाये जाने और एनआरसी के अधतन की अपील की |
2010 : एनआरसी के अधतन के लिए चाय गाव बारपेटा में प्रायोगिक परियोजना शुरु हुई | बारपेटा में हिंसा में चार लोंगो की मौत हुई | परियोजना बंद कर दी गई|
2013 : उच्चतम न्यायलय ने एपीडब्लू की याचिका की सुनवाई की | केंद्र राज्य को एनआरसी के अधतन की प्रकिर्या आरम्भ करने का आदेश दिया
2015 : एनआरसी अधतन की प्रकिया शुरू की गई |
2017 : 31 दिसम्बर को मसौदा एनआरसी प्रकाशित हुआ जिसमे 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ के नाम प्रकाशित किये गए |
30 जुलाई 2018 : एनआरसी की एक मसौदा सूची जारी की गई | इसमें 2.9 करोड़ लोंगो में से 40 लाख के नाम शामिल नही किये गये |
26 जून 2019 : 1,02,462 लोंगो की अतरिक्त मसौदा निष्कासन सूची प्रकाशित | और 31 अगस्त को अंतिम एनआरसी सूची जारी की गई |