रक्षाबंधन हिन्दू धर्म और जैन धर्म के अनुयायियों का एक प्रमुख त्यौहार है | रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जिसे "रक्षाबंधन पूर्णिमा" भी कहते हैं। यह हिन्दू पंचांग के अनुसार आगस्त या सितंबर महीने में आता है।
रक्षाबंधन का त्यौहार
Last Updated On: 30 August 2023
रक्षाबंधन का त्यौहार
"रक्षा बंधन" एक परंपरागत भारतीय त्योहार है जो भाई-बहन के प्यार और संबंध का प्रतीक होता है। यह त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जिसे "रक्षाबंधन पूर्णिमा" भी कहा जाता है, और यह साल के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है, जैसे कि "राखी" या "राखड़ी"।
इस त्योहार में, बहन अपने भाई की कलाई पर एक धागा (राखी) बांधती है, जिसका मतलब होता है कि भाई अपनी बहन की सुरक्षा और संरक्षण का प्रतिज्ञान करता है। उसके प्रतिक्रिया के तौर पर, भाई बहन को उपहार देता है और उनकी आशीर्वाद प्राप्त करता है।
इस त्योहार का मुख्य उद्देश्य परिवार के सदस्यों के बीच प्यार, समर्पण और संबंधों को मजबूत करना है। यह एक आदर्शिक मान्यता है कि यह राखी बंधन भाई-बहन के प्यार और आपसी समर्पण का प्रतीक है और इससे उनके रिश्तों की मजबूती और अटूटता दिखाई जाती है।
रक्षा बंधन का त्योहार भारत में बड़े ही उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है, और यह समाज में परिवार के महत्वपूर्ण बंधनों की महत्वपूर्णता को दर्शाता है।
रक्षाबंधन के त्यौहार को मनाये जाने का कारण और इससे जुड़ी पौराणिक कथाये
रक्षाबंधन के त्योहार के पीछे कई पुराणिक कथाएं और ऐतिहासिक कारण हैं, जो इसे मनाने का कारण बनते हैं। यहां कुछ प्रमुख कथाएं हैं:
कृष्ण और द्रौपदी: महाभारत के युद्ध काल में द्रौपदी ने श्रीकृष्ण से अपने पल्लु पर खून से राखी बांधने की इच्छा व्यक्त की थी। श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की भावना का सम्मान करते हुए उसका रक्षा बंधन किया और उसकी सुरक्षा की प्रतिज्ञा की।
यमुना और यम: एक और पुरातन कथा के अनुसार, भगवान यमराज अपनी बहन यमुना से मिलकर बहुत खुश हुए थे। उनके खुशी में यमराज ने अपनी बहन के लिए उसके हाथ में राखी बांध दी और उसने उसकी सुरक्षा का वादा किया।
किंग पुलकेशी और रानी कर्णावती: राजपूताना के योद्धा किंग पुलकेशी और उनकी रानी कर्णावती की कथा भी रक्षाबंधन से जुड़ी है। कहा जाता है कि जब मुघल सम्राट अकबर ने राजपूताना पर हमला किया तो कर्णावती ने श्रीकृष्णा से मदद की प्रार्थना की और उन्होंने अपनी राखी को अकबर के दरबार भेज दिया। यह किसी तरह की समझौता की कहानी है जिससे अकबर को भावनात्मक रूप से प्रभावित किया गया और वह हमले की योजना बदल दी।
ये कथाएं दिखाती हैं कि रक्षाबंधन एक प्राचीन और महत्वपूर्ण परंपरागत त्योहार है जो भाई-बहन के प्यार और संरक्षण के बंधन को मनाता है।
रक्षाबंधन के त्यौहार को किस प्रकार मनाया जाता है |
रक्षाबंधन को विभिन्न तरीकों से मनाया जा सकता है, लेकिन यहां कुछ प्रमुख चरण बताए जा रहे हैं जिनका आमतौर पर अनुसरण किया जाता है:
राखी चढ़ाना: रक्षाबंधन का पहला पदाव राखी चढ़ाना है, जिसमें बहन अपने भाई की कलाई पर एक धागा यानी राखी बांधती है। यह धागा उनके प्यार और संरक्षण के बंधन की प्रतीक होता है।
तिलक और आरती: राखी बांधने के बाद, बहन अपने भाई की माथे पर तिलक लगाती है और उसे आरती करती है। यह भाई की लंबी और स्वस्थ जीवन की कामना का प्रतीक होता है।
उपहार देना: रक्षाबंधन में भाई-बहन आपसी उपहार भी देते हैं। बहन अपने भाई को उपहार देती है और वापसी में भाई भी बहन को उपहार देता है। यह आपसी प्यार और समर्पण का प्रतीक होता है।
आशीर्वाद: रक्षाबंधन के मौके पर भाई बहन एक-दूसरे को आशीर्वाद देते हैं और एक-दूसरे के लिए शुभकामनाएं देते हैं।
खाना-पीना: परिवार में रक्षाबंधन के दिन विशेष खाने-पीने की व्यवस्था की जाती है। परिवार के सभी सदस्य मिलकर खाने का आनंद लेते हैं।
आवाज़ में बधाई: यदि भाई या बहन दूर नहीं होते हैं, तो वे फोन या वीडियो कॉल के माध्यम से भी रक्षाबंधन की बधाई दे सकते हैं।
ये विभिन्न तरीके होते हैं जिनसे लोग रक्षाबंधन का त्योहार मनाते हैं और अपने प्यारे भाई-बहन के साथ समय बिताते हैं।
रक्षा बंधन का त्यौहार कब मनाया जाता है |
रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जिसे "रक्षाबंधन पूर्णिमा" भी कहते हैं। यह हिन्दू पंचांग के अनुसार आगस्त या सितंबर महीने में आता है। तारीख हर साल बदलती है क्योंकि पंचांग के अनुसार होता है, लेकिन यह त्योहार अक्सर बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
यह पूर्णिमा तिथि को भाई-बहन के बीच एक आदर्शिक आपसी संबंध की प्रतीक है और इसे उत्सवपूर्ण और खास बनाने के लिए घरों में तैयारियाँ की जाती है।
रक्षा बंधन के त्यौहार से जुड़ा सामाजिक सन्देश
रक्षाबंधन का त्योहार एक मानवीय संबंध की महत्वपूर्णता को दर्शाता है और समाज में सद्भावना, प्यार और सामंजस्यपन की भावना को बढ़ावा देता है। यहां कुछ सामाजिक संदेश हैं जो रक्षाबंधन के त्योहार से जुड़े हैं:
परिवार के महत्व का परिचय: रक्षाबंधन हमें परिवार के महत्व को समझने की प्रेरणा देता है। यह दिखाता है कि परिवार एक एकता की ताक होता है और हमें समर्पण और समरसता के साथ रहने का सिखाता है।
सामंजस्यपन की महत्वपूर्णता: रक्षाबंधन के त्योहार में भाई-बहन के बीच सामंजस्यपन की महत्वपूर्णता होती है। यह दिखाता है कि हमें आपसी मतभेदों को समझने और समाधान करने की कला सीखनी चाहिए।
स्त्री-पुरुष समानता का संकेत: रक्षाबंधन एक स्त्री-पुरुष समानता की ओर एक कदम होता है। इसमें भाई अपनी बहन की सुरक्षा का वादा करते हैं, जो एक समाज में स्त्रियों की महत्वपूर्ण भूमिका को प्रमोट करता है।
समाज में आपसी सहयोग की महत्वपूर्णता: रक्षाबंधन हमें सिखाता है कि हमें आपसी सहयोग के साथ समाज में आगे बढ़ना है। यह दिखाता है कि हमें एक दूसरे की मदद करने का प्रतिबद्ध रहना चाहिए।
प्यार और समर्पण की महत्वपूर्णता: रक्षाबंधन के त्योहार से हमें प्यार और समर्पण की महत्वपूर्णता का अनुभव होता है। यह दिखाता है कि प्यार और समर्पण हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण है।
विविधता का समृद्धिकरण: रक्षाबंधन के त्योहार में लोग विविधता को स्वीकार करने की महत्वपूर्णता को आदर्शित करते हैं। इसमें भाई-बहन के बीच विविध संस्कृतियों, जातियों और धर्मों के लोगों के बीच समझदारी और समरसता की भावना होती है।
इन सामाजिक संदेशों के माध्यम से रक्षाबंधन का त्योहार हमें सद्भावना, समर्पण, सहयोग और समाज में बेहतरीन संबंधों की महत्वपूर्णता को सिखाता है।